"यह मत पूछो तुम बिन हम क्या-क्या खोते रहे
तुम्हारी यादों में हम रोज़ कितने रोते रहे
न दिन गुजरे है न रातें
बस कुछ बेचैन से हम होते रहे...।।

"हमारे लिए उनके दिल में चाहत ना थी
किसी ख़ुशी में कोई दावत ना थी
हमने दिल उनके कदमों में रख दिया
पर उन्हें ज़मीन देखने की आदत ना थी...।।

"दिल में हर राज़ दबा कर रखते है
होंटो पर मुस्कुराहट सजाकर रखते है
ये दुनिया सिर्फ खुशी में साथ देती है
इसलिए हम अपने आँसुओ को छुपा कर रखते है...।।

"हमसे पूछो क्या होता है पल पल बिताना
बहुत मुश्किल होता है दिल को समझाना
ज़िन्दगी तो बीत जायेगी ऐ दोस्त
बस मुश्किल होता है कुछ लोगो को भूल पाना...।।

"होले होले कोई याद आया करता है
कोई मेरी हर साँसों को महकाया करता है
उस अजनबी का हर पल शुक्रिया अदा करते हैं
जो इस नाचीज़ को मोहब्बत सिखाया करता है...।।

"सनम बेवफा है
ये वक्त बेवफा है
हम शिकवा करें भी तो किस्से
कमबख्त ज़िन्दगी भी तो वेबफा है...।।

"जब कोई ख्वाब अधुरा रह जाते हैं
तब दिल के दर्द आंसु बनकर बाहर आते हैं
जो कहते है हम आप ही के हैं
पता नही जिन्दगी मे कैसे अलविदा कह जाते हैं...।।

"दुनिया में मैं अपनी कमी छोड़ जाऊंगा
राहों पर इंतजार की लकीर छोड़ जाऊंगा
याद रखना एक दिन मुझे ढूढ़ते फिरोगे
आँखों में आपके मैं नमी छोड़ जाऊंगा...।।

"जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं
क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं
तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ
गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं...।।

"हमें अपने घर से चले हुए
सरे राह उमर गुजर गई
न कोई जुस्तजू का सिला मिला
न सफर का हक ही अदा हुआ...।।

"किसी ने मुझसे कहा
तुम्हारी आंखें बहुत प्यारी है
मैंने हस कर कहा
बारिश होने के बाद अक्सर
मोसम हसीन हो जाता है...।।
"तेरे शहर में आ कर बेनाम से हो गए
तेरी चाहत में अपनी मुस्कान ही खो गए
जो डूबे तेरी मोहब्बत में तो ऐसे डूबे
कि जैसे तेरी आशिक़ी के गुलाम ही हो गए...।।
"खुशी मिले तो बांट लेंगे हम
गम के अंधेरों को बटोर लेंगे हम
तुम न करना अपनी आंखों को नम
तेरे बदले रो लेंगे हम...।।
"हसीनो को करीब से देखा है
इनके पास बेवफाई है
जिन्होंने प्यार किया है इनसे
उन्होंने उनकी कब्र बनाई है...।।
"हमने भी कभी प्यार किया था
थोड़ा नही बेशुमार किया था
दिल टूट कर रह गया
जब उसने कहा
अरे मैने तो मज़ाक किया था...।।
"काश वो समझते इस दिल की तड़प को
तो हमें यूँ रुसवा ना किया जाता
बेरुखी भी उनकी मंज़ूर थी हमें
एक बार बस हमें समझ लिया होता...।।
"ज़िन्दगी है नादान इसलिए चुप हूँ
दर्द ही दर्द है,सुबह- शाम इसलिए चुप हूँ।
कह दु ज़माने से दास्तान अपनी
उसमे आया तेरा नाम इसलिए चुप हूँ...।।
"गुजारिश हमारी वह मान न सके
मज़बूरी हमारी वह जान न सके
कहते हैं मरने के बाद भी याद रखेंगे
जीते जी जो हमें पहचान न सके...।।
"अब तेरे बिना जिंदगी गुजारना मुमकिन नही है
अब और किसी को इस दिल में बसाना आसान नही है
हम तो तेरे पास कब के चले आये होते सब कुछ छोड़ कर
लेकिन तूने कभी हमे दिल से पुकारा ही नही है...।।
"ऐ बेवफा सांस लेने से तेरी याद आती है
ऐ बेवफा सांस न लूँ तो भी मेरी जान जाती है
मैं कैसे कह दूं कि बस मैं सांस से जिंदा हूँ
ये सांस भी तो तेरी याद आने के बाद आती है...।।
"वक़्त की आग में पत्थर भी पिघल जाते हैं
हसीं लम्हे टूटकर अश्कों में बह जाते हैं
कोई साथ नहीं देगा इस ज़िंदगी में हमारा
क्यूंकि वक़्त के साथ इंसान बदल जाते हैं...।।
"बिन बात के ही रूठने की आदत है
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है
आप खुश रहें.. मेरा क्या है
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है...।।
"टूट कर बिखर जाते है वो लोग
मिट्टी की दीवारों की तरह
जो खुद से भी ज्यादा किसी ओर से
मोहब्बत किया करते है...।।
"तुम अपना रंजो-गम अपनी परेशानी मुझे दे दो
तुम्हें मेरी कसम यह दुख यह हैरानी मुझे दे दो
ये माना मैं किसी काबिल नहीं इन निगाहों में
बुरा क्या है अगर इस दिल की वीरानी मुझे दे दो...।।
"ज़िन्दगी ने कितना मजबूर कर दिया
लोग मांगते है ज़िन्दगी
और हमें मौत से भी दूर कर दिया...।।
क्यों इतना सितम किया हम पर
अपने दिल से न जोड़ते तुम
गम नही था हमें। पर तुमने
अपनी नफ़रत से भी दूर कर दिया...।।
"हर बात समझने के लिए नहीं होती
जिंदगी अक्सर कुछ पाने या खोने के लिए नहीं होती
याद अक्सर आती है आपकी
लेकिन हर याद जताने के लिए नहीं होती...।।
"दिल्लगी भी करके देख ली
भुला न पाए यार उन्हें
सब कुछ भूल गए सागर
बस भुला न पाए यार उन्हें...।।
"इरादों में अभी भी क्यों इतनी जान बाकी है
तेरे किये वादों का इम्तिहान अभी बाकी है
अधूरी क्यों रह गयी तुम्हारी यह बेरुखी
अभी दिल के हर टुकड़े में तेरा नाम बाकी है...।।
"सपना कभी साकार नहीं होता
मोहब्बत का कोई आकार नहीं होता
सब कुछ हो जाता है दुनिया में
मगर दुबारा किसी से सच्चा प्यार नहीं होता...।।
"प्यार-मोहब्बत की बस इतनी सी कहानी है
इक टूटी हुई कश्ती और ठहरा हुआ पानी है
इक फूल जो किताबों में कहीं दम तोड़ चुका है
कुछ याद नहीं आता किसकी निशानी है...।।
"मंजिल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था
एक मैं ही अकेला था, बाकि सारा काफिला भी उसका था
एक साथ चलने की सोच भी उसकी थी
और बाद में रास्ता बदलने का फैसला भी उसी का था...।।
"मोहब्बत ऐसी थी कि उनको बता न सके
चोट दिल पे थी इसलिए दिखा न सके
हम चाहते तो नही थे उनसे दूर होना
मगर दूरी इतनी थी उसे हम मिटा न सके...।।
"उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है...।।
"जुबान खामोश और आँखों में नमी होगी
यही बस मेरी दास्ताने-ज़िंदगी होगी
भरने को तो हर ज़ख्म भर जायेगा लेकिन
कैसे भरेगी वो जगह जहाँ तेरी कमी होगी...।।
"मोहब्बत तो जीने का नाम है
मोहब्बत तो यूँ ही बदनाम है
एक बार मोहब्बत करके तो देखो
मोहब्बत हर दर्द पीने का नाम है...।।
"बहुत खामोशी से गुजरी जा रही है जिन्दगी
ना खुशियों की रौनक ना गमों का कोई शोर
आहिस्ता ही सही पर कट जायेगा ये सफ़र
ना आयेगा दिल में उसके सिवा कोई और...।।
"जीत किसके लिए,हार किसके लिए
जिन्दगी भर यह तकरार किसके लिए
जो भी आया है वो जाऐगा एक दिन
फिर ये अहंकार किसके लिए...।।
"हाथों से गिर गई लकीर कहीं
भुल आये हम अपनी तकदीर कही
अगर तुमको मिले कहीं तो उठा लेना
मेरे हिस्से की हर खुशी अपने हाथों में सजा लेना...।।
"नफरत मिली है ज़माने में
कैसे किसी से दिल लगाए
सब कुछ तोह खो दिया प्यार में
अब कहते हो उन्हें भूल जाए...।।
"अपनी तो मोहब्बत की यही कहानी है
टूटी हुई कश्ती ठहरा हुआ पानी है
एक फूल किताबोँ मेँ दम तोड़ चुका है
मगर याद नहीँ आता ये किसकी निशानी है...।।
"वो मुझसे बिछड़ कर अब तक नहीं रोया
कोई तो हमदर्द है उसका
जिसने मेरी याद तक ना आने दी...।।
"जाना कहा था और कहां आ गए
दुनिया में बन कर मेहमान आ गए
अभी तो प्यार की किताब खोली थी
और न जाने कितने इम्तिहान आ गए...।।
"चिंगारी का ख़ौफ़ न दिया करो हमे
हम अपने दिल में दरिया बहाय बैठे है
अरे हम तो कब का जल गये होते इस आग में
लेकिन हमतो खुद को आंसुओ में भिगोये बैठे है...।। 50
"हमने रस्म रिवाज़ों से बग़ावत की है
हमने वेपन्हा उनसे मोहब्बत की है
दुआओं में जिसे था कभी मांगा
आज उसी ने जुदा होने की चाहत की है...।।
"अब तो साँसें भी पराई सी हो गई
दिल में बसी यादें किराये सी हो गई
उनका जाना तो तय था ",अकेला"
फूल तो है खुशबू हरजाई सी हो गई...।।
"तमाम रात का तूफ़ान बर्क-ओ-बाद न था
हमको ही अपने चिरागों पर ऐतमाद न था
वो तो लहू के धब्बों से पहचान बन गई
वर्ना मेरे घर का पता किसी को याद न था...।।
"कोई खुशियों की चाह में रोया
कोई दुखों की पनाह में रोया
अजीब सिलसिला हैं ये ज़िंदगी का
कोई भरोसे के लिए रोया
कोई भरोसा कर के रोया...।।
"एक कहानी सी दिल पर लिखी रह गयी
वो नजर जो उसे देखती रह गयी
वो बाजार में आकर बिक भी गए,
मेरी कीमत लगी की लगी रह गयी...।।
"बिन बात के ही रूठने की आदत है
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है
आप खुश रहें, मेरा क्या है
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है...।।
"सोचा था इस बार उनको भूल जाएंगे
देखकर भी उनको अनदेखा कर जाएंगे
पर जब-जब सामने आया चेहरा उनका
सोचा इस बार देख ले अगली बार भूल जाएंगे...।।
"सब कुछ हमने सह लिया
दर्द-ए-दिल सहा नहीं जाता
लाश से बदतर ज़िन्दगी है
सागर अब ज़िंदा रहा नहीं जाता...।।
"तुझे भूलकर भी न भूल पायेगें हम
बस यही एक वादा निभा पायेगें हम
मिटा देंगे खुद को भी जहाँ से लेकिन
तेरा नाम दिल से न मिटा पायेगें हम...।।
"कशिश तो बहुत है मेरे प्यार में
लेकिन कोई है पत्थर दिल जो पिघलता नहीं
अगर मिले खुदा तो मांग लूंगी उसको
पर सुना है खुदा मरने से पहले मिलता नहीं...।।
"हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरह
लोग निकले ही नहीं ढूंढने वालों की तरह
दिल तो क्या हम रूह में भी उतर जाते
उस ने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह...।।
"कोई मिला ही नही हमे कभी हमारा बन कर
वो मिला भी तो हमे सिर्फ किनारा बनकर
हर ख्वाब बन कर टुटा है यहां
अब बस इंतज़ार ही मिला है एक सहारा बन कर...।।
"ऐ बेवफा थाम ले मुझको मजबूर हूँ कितना
मुझको सजा न दे मैं बेकसूर हूँ कितना
तेरी बेवफ़ाई ने कर दिया है मुझे पागल
और लोग कहतें हैं मैं मगरूर हूँ कितना...।।
"बहुत गरूर था मुझे उस सख्स पर
जिसे में मोहबत करता था
कमबख्त ने मोहबत को इस तरह बिखेरा
की समेटने का भी मन नही किया...।।
"चमन में जो भी थे नाफ़िज़ उसूल उसके थे
तमाम काँटे हमारे थे और फूल उसके थे
मैं इल्तेज़ा भी करता तो किस तरह करता
शहर में फैसले सबको कबूल उसके थे...।।
"आज आसमान के तारों ने मुझे पूछ लिया
क्या तुम्हें अब भी इंतज़ार है उसके लौट आने का
मैंने मुस्कुराकर कहा
तुम लौट आने की बात करते हो
मुझे तो अब भी यकीन नहीं उसके जाने का...।।
"ज़ख्म सब भर गए बस एक चुभन बाकी है
हाथ में तेरे भी पत्थर था हजारों की तरह
पास रहकर भी कभी एक नहीं हो सकते
कितने मजबूर हैं दरिया के किनारों की तरह...।।
"तुम्हारी प्यारी सी नज़र अगर इधर नहीं होती
नशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होती
तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है
फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती...।।